मशहूर फैशन डिजाइनर सत्य पॉल, जिन्हें समकालीन जनता के लिए साड़ी का फिर से आविष्कार करने के लिए जाना जाता है, का बुधवार 6 जनवरी को तमिलनाडु के कोयंबटूर में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उनके बेटे, पुनीत नंदा ने यह जानकारी साझा किया कि प्रतिष्ठित डिजाइनर को दिसंबर 2019 में स्ट्रोकआया था । पॉल को भारतीय साड़ी को समकालीन बनाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने बुधवार को सदगुरू के ईशा योगा सेंटर पर अपनी सांस ली।
उन्हें 2 दिसंबर2019 को स्ट्रोक आया था
नंदा ने फेसबुक पर लिखा कि उन्हें 2 दिसंबर2019 को स्ट्रोक आया था और उनकी अस्पताल में धीरे-धीरे रिकवरी हो रही थी। उनकी इच्छा केवल यही थी कि जो चीजें उन्हें परेशान कर रही थीं। वे सभी हट जाएं जिससे वे दूर उड़ सकें।
उन्होंने आगे लिखा, “अंतत: हमें चिकित्सकों से उन्हें वापस ईशा योग सेंटर ले जाने की इजाजत मिली, जहां वह 2015 से रह रहे थे। उनकी इच्छा के मुताबिक, वह गुरु के आशीर्वाद से शांतचित्त से परलोक सिधार गए।”
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सद्गुरु ने ट्वीट में लिखा,एक सच्ची श्रद्धांजलि
ईशा फाउंडेशन के संस्थापक, सद्गुरु ने सत्य पॉल के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उनकी एक तस्वीर ट्वीट की।सद्गुरु ने ट्वीट में लिखा, “सत्य पॉल, बेहद जोशीला और अथक भागीदारी के साथ जीवन जीने का एक शानदार उदाहरण थे। आपके द्वारा भारतीय फैशन उद्योग में लाया गया उत्कृष्ट नजरिया, एक सच्ची श्रद्धांजलि है। हमारे बीच आपका होना सौभाग्य की बात थी। संवेदनाएं और आशीर्वाद।”
#SatyaPaul, a shining example of what it means to live with immeasurable passion and unrelenting involvement. The distinct vision you brought to the Indian #fashion industry is a beautiful tribute to this. A privilege to have had you amongst us. Condolences & Blessings. -Sg pic.twitter.com/DNMZ0DXvOf
— Sadhguru (@SadhguruJV) January 7, 2021
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट ने भी सत्य पॉल के निधन पर सोशल मीडिया पर दुख जताया है।
Om Shanti 🙏 https://t.co/GBlWx1C0vi
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) January 7, 2021
उन्होंने 2007 में सद्गुरु की खोज की थी
ज्यादातर लोग जागरूक नहीं हैं कि वह एक डिजाइनर या उद्यमी से ज्यादा एक दृढ़ता के साधक थे। 70 के दशक में उनकी आंतरिक यात्रा शुरू हुई थी। कृष्णमूर्ति, फिर बाद में उन्होंने ओशो से सन्यास लिया। 1990 में ओशो के जाने के बाद, हालांकि वह दूसरे मास्टर की तलाश नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्होंने 2007 में सद्गुरु की खोज की थी । उन्होंने तुरंत योग के मार्ग का आनंद लेना शुरू कर दिया और अंततः 2015 में यहां चले आए।’
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